लाॅकडाउन के बाद यूपी में सस्ती बिक सकती है शराब और बीयर

लाॅकडाउन के बाद यूपी में सस्ती बिक सकती है शराब और बीयर, जानें क्या है वजह


लाॅकडाउन के बाद यूपी में सस्ती बिक सकती है शराब और बीयर, जानें क्या है वजह

लाॅकडाउन खुलने के पहले हफ्ते में उत्तर प्रदेश में देसी व अंग्रेजी शराब और बीयर सस्ती बिक सकती है। यह नौबत राज्य के आबकारी विभाग की ओर से गुरुवार को लिए गए फैसलों की वजह से आ सकती है। विभाग के प्रमुख संजय आर.भूसरेड्डी ने इस बारे में विस्तृत शासनादेश जारी किया है।

लाॅकडाउन की वजह से प्रदेश में शराब व बीयर की बिक्री प्रभावित होने और दुकानों के लाइसेंस आवंटन की पहले से तय शर्तों को कोरोना संकट की वजह से पूरा न कर पाने की फुटकर और थोक विक्रेताओं की दिक्कतों के निस्तारण के लिए यह शासनादेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि देसी, अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकानों पर पूरे प्रदेश में जो स्टाक बचा हुआ है, उसे लाकडाउन खुलने के सात दिनों के भीतर बेचना होगा। इन सात दिनों के बाद उक्त बचे हुए स्टाक को नष्ट कर दिया जाएगा। ऐसी सूरत में हर थोक व फुटकर विक्रेता अपने स्टाक को लाकडाउन खुलने के इन शुरुआती सात दिनों में ही हर हाल में बेचना चाहेगा। इसके लिए शराब व बीयर के दाम घटाए भी जा सकते हैं। बार व क्लब के संचालकों को स्टाक खपाने के लिए लाकडाउन खुलने से एक पखवारे की अवधि की अनुमति दी गई है।
इस शासनादेश के अनुसार प्रदेश में देसी शराब की दुकानों जिनके लाइसेंस का नवीनीकरण हो गया है और जिनका नहीं हुआ। ऐसी कुल 12467 दुकानें हैं और इनमें लगभग 736830 पेटी देसी शराब का स्टाक बचा हुआ है। जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 215.20 करोड़ है। इसी तरह देसी शराब के थोक विक्रेताओं जिनके लाइसेंस का नवीनीकरण हुआ है और जिनका नहीं हुआ है, के यहां लगभग 249954 पेटी देसी शराब का स्टाक बचा हुआ है जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 215 करोड़ रुपये है। अंग्रेजी शराब और बीयर की फुटकर दुकानों और माडल शाप पर लगभग 960036 पेटी अंग्रेजी शराब और बीयर का स्टाक बचा है। शासनादेश में कहा गया है कि लाकडाउन खुलने के 24 घंटे के भीतर थोक और फुटकर विक्रेताओं को अपने पूरे स्टाक की घोषणा करनी होगी।
शासनादेश में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए थोक और फुटकर कारोबार करने के लिए लाइसेंस हासिल कर चुके लाइसेंसियों को देसी शराब की उठान के अप्रैल के न्यूनतम मासिक कोटे की अनिवार्यता में छूट प्रदान की गई है। इसी तरह गुजरे वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च में भी देसी शराब की न्यूनतम गारंटी कोटे के मुताबिक उठान न कर पाने वाले कारोबारियों को भी छूट दी गई है।

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